Saturday, September 4, 2010

भारत में घुसपैठ

देश पर एक और विभाजन का संकट !

  • भारत में सन १९४७ से ही विदेशी घुसपैठ की अनदेखी की गई पूर्वी भारत में तो वोट बैंक और पैसे के लालची नेताओ ने घुसपैठियो के राशन कार्ड और मतदाता परिचय पत्र तक बनवा डाले
  • इस घुसपैठ और असीमित जनसँख्या विस्तार के कारण सन २०२० तक बिहार , पश्चिम बंगाल और असममें बहुसंख्यक हिन्दू अल्पसंख्यक हो जावेंगे और इन प्रदेशों में सन १९४७ जैसे एक और विभाजन की परिस्थिति तैयार होने की संभावना है
  • बहुसंख्यक हिंदूओ के अल्पसंख्यक होते ही इस्लामी कट्टरवाद के चलते यह क्षेत्र भी आतंकवाद , कट्टरता व संगठित अपराध ,ड्रग्स और हथियारों की तस्करी जैसी असामाजिक गतिविधियों के अड्डे बन जाएँगे
  • इन परिस्थितियो में इन क्षेत्रो में मूल निवासी रहे हिंदूओ के सामने पलायन करने, धर्मान्तरण करने या फिर लूट बलात्कार और अपमान सहन करते हुए मारे जाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचेगा
  • इस बार इन परिस्थितियो में सन १९४७ से भी भीषण हिन्दू विरोधी हिंसा का अनुमान है सिमी और लश्कर जैसे संगठनों ने इसकी तैयारी अभी से आरंभ कर दी है माओवादी नक्सलियो से लश्कर के सम्बन्ध इसी रणनीति का अंग है
  • अनेक राष्ट्रवादी संगठनों ने समय समय पर इस विषय को उठाया है , परन्तु भारत रक्षा मंच केवल घुसपैठ की समस्या पर केन्द्रित एक मंच है जो सतत घुसपैठ तथा एक और विभाजन रोकने की दिशा में कार्य करेगा सभी राष्ट्रवादी विचारो के लोग इस विषय पर अपना योगदान कर सकते है
    संपर्क- सूर्यकांत केलकर संरक्षक भारत रक्षा मंच मो० ०९४७९५९४६९३